अपने घर आंगन में दिखने वाली ये छोटी सी चिड़ीया हमारी बचपन से लेकर जवानी तक की साथी रही है। और आज उसी का दिन है।
उत्तराखंड प्रकृति की गोद में बसा है और जिस कारण यहां तरह तरह के खूबसूरत पशु पक्षी हमे देखने को मिलते रहते हैं पर उन सब में कुछ खास है ये गोरैया।
हर घर आंगन में बेधड़क आ जाती है, हमे अपना समझ कर। और हमारी अपनी है भी। हमारे आस पास ही अपना घोंसला बनाती है। पर जिस तरह से प्रकृति का दोहन हो रहा है, इस पोथिल को भी पलायन करने पड़ रहा है या फिर ये धीरे धीरे विलुप्त हो रही है। जहरीले कीटनाशकों का जिस तरह भारी मात्रा में इस्तेमाल हो रहा हैं उस से भी इनको खतरा है।
अब पहले जैसी इसकी चहचहाट उतनी नही सुनाई देती। हमे इसके संरक्षण का खयाल रखना चाहिए। इसी वजह से हर साल 20 मार्च को "विश्व गोरैया दिवस" मनाया जाता है। ताकि इसके लिए हम सब जागरूक हो कि ये छोटी सी चिड़िया चाहे उतनी खास न दिखे पर हर किसी की तरह ये भी खास है।
महत्वपूर्ण नोट -
20 मार्च 2010 - से हर साल मनाया जाता है।
गोरैया - Sparrow
वैज्ञानिक नाम - Passer Domesticus
अपने घर आंगन में, छत में पानी और गेहूं, चावल के दाने जरूर डाले। अगर आपके घर, छत में जगह हो तो आप लकड़ी के या मिट्टी के बाजार से घोसले ले सकते हैं। ताकि इसे अहसास हो कि ये अब भी हमारे लिए उतनी ही खास है जितनी हमारे बचपन मे थी।
- बाबा बेरोजगार
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