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Sunday 11 February 2018

चर्चा गंभीर विषय “उत्तराखंड के गावों से पलायन” पर भाग - 1

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      अभी एक रिपोर्ट ने सोचने को और लिखने को मजबूर कर दिया जिसमे लिखा है – "उत्तराखंड राज्य में 17 साल में 32 लाख लोगों ने छोड़ा घर”




      सच में ये आज की सच्चाई है कि लोग पहाड़ों के अपने पैतृक घर छोड़ शहरों की और पलायन कर रहे हैं... कारण बहुत से हैं जिस के बारे में बात करना जरुरी है...

कैसे पता करें किसी भी गाड़ी की जानकारी उसके नंबर प्लेट से - Vehicle details by its Number plate

      पलायन करना यानि एक स्थान को छोड़ कर दुसरे स्थान चले जाना... जैसे कि उत्तराखंड में लोग पहाड़ों में बसे अपने गावों के घरों को छोड़ कर शहरों की और आ रहे हैं.... एक हद तक सही है क्यूंकि पहाड़ों में जीवन यापन के लिए जरुरी चीजों की कमी तो नहीं है पर थोडा देरी जरुरी होती है... और आज के फ़ास्ट जनरेशन 4G वाले ज़माने में कौन पीछे रहना पसंद करेगा...






      हम लोग शहरों में बैठ कर लोगों के पलायन पर बड़ी बड़ी मीटिंग करेंगे, चर्चा करेंगे और तो और दूसरों को सलाह देंगे कि शहर मत आओ, वही रहो पहाड़ों में राहों, पलायन रोको... पर....





      पर... खुद पहाड़ जा कर अपने-अपने गावों में रहने की नहीं सोच सकते... बात ये नहीं कि पहाड़ के लोगों को अपना गाव छोड़ कर आने में ख़ुशी हो रही हो, क्यूंकि जहा बचपन से रहे उस जगह पर कितनी यादें होती हैं, कोई भी नहीं छोड़ना चाहेगा अपन घर गाव को.... पर मज़बूरी है... सुख सुविधाओ के इस ज़माने में कोई कब तक एडजस्ट करे... उनका भी हक़ है अच्छी सड़के, अच्छे स्कूल, अच्छे हॉस्पिटल, बढ़िया बाजार, पिक्चर हॉल, पिज़्ज़ा कार्नर, अपनी स्कूटी अपनी कार, बढ़िया जीवन शेली, बच्चों का अच्चा फ्यूचर....



      अगर ये सब पहाड़ों में ही उपलब्ध हो जाये तो शहरों के आधे लोग तो खुद अपने अपने गाव आ बसें... क्यूंकि हम जैसे नकली शहरी लोगों के अन्दर एक पहाड़ी जिन्दा है जो बस अपने पहाड़, अपने गाव वापस जाना चाहता है.... सन्डे सुबह उठ कर गरम गरम चाय पी कर बकरियों को ले कर ऊँची ऊँची पहाड़ियों में ट्रेकिंग करना चाहता है... रोज की भाग दोड़ छोड़ कुछ पल ऊपर बैठ कर सारी दुनिया को देखना चाहता है....
      पर अभी भी पहाड़ों के गाव अच्छे हॉस्पिटल से बहुत दूर हैं, रोड उतनी बढ़िया नहीं है... आने जाने में टाइम बहुत लगता है.... जिस कारण इमरजेंसी में रिस्क होता है... हर कोई अच्छा स्वास्थ्य और अच्छा जीवन चाहता है... ये मिल जाये तो आधा पलायन रुक जाये...



      सरकार को जल्द से जल्द अच्छे हॉस्पिटल्स और उनमे अच्छे डॉक्टर्स और मशीनों को उपलब्ध करने की जरुरत है... ये सब होगा तो बड़े बड़े मॉल और मल्टीप्लेक्स और होटल्स खुद पहाड़ों में आ कर अपनी अपनी ब्रांच बनायेंगे...
      अब थोडा मूड हल्का करते हैं पर ये कारण भी पलायन के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है... पहला तो ये कि आज कल की लड़कियों को शहर वाला दूल्हा ही चाहिए... हाहाहा...
      दूसरा ये कि अगर गाव का कोई लड़का अच्छी जॉब में लग गया तो लोग इतना सुनाते हैं कि हम जैसे लड़के तो रातो रात बोरिया बिस्तर पैक कर पलायन कर ले...






      और एक और बात आज कल बहुत सी जगहों पर रोड चौड़ी की जा रही है और पेड़ भी काटे जा रहे हैं, जो गलत है पर जरुरी है... बिना पेड़ काटे अब रोड तो बनेगी नहीं... क्यूंकि पहाड़ों में तो पेड़ हर जगह मिलेंगे... तो कुछ लोग सोशल मीडिया पर हल्ला जरुर करेंगे कि पर्यावरण का नुकशान हो रहा है.... तो बस इतना कहूँगा उनको कि अगर पलायन रोकना है, और पहाड़ों के लोगो की भलाई करनी है, उन्हें हर सुख सुविधाओं से जोड़ना है तो अच्छी चौड़ी सड़क जरुर चाहिए...





      क्यूंकि पहाड़ों में पतली संकरी सड़कों के कारण अक्सर सफ़र में देरी हो जाती है, जाम लग जाता है... टाइम बहुत लगता है.... जो उस समय और भी बुरा हो जाता है जब आप को जल्दी कही जाना हो या हॉस्पिटल जाना हो और पलती सकरी ख़राब रोड एक कारण देर हो जाये... जो मरीज के लिए भी खतरनाक है.... तो इतना कहूँगा कि रोड चौड़ी होने दे... बाद में 1 पेड़ की जगह 1000 पेड़ मिल के लगायेंगे... क्यूंकि जब हम होंगे तो पेड़ों की अहमियत भी बढ़ेगी...

- बाबा बेरोजगार

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