बेरोजगारी ने भी
हद्द कर रखी है बाबा... जीने का पूरा टाइम टेबल ही चेंज कर दिया है मेरा... जो
प्लान किया था वो तो हो ही नहीं रहा है... साथ में घर वालो को भी परेशान कर रखा
है...
अपनी लाइफ के बारे में जो सोचा था वो तो टाइम पे हो ही नहीं रहा
है यार... कहा इस उम्र में खा पी के जिन्दगी के मज्जे लेने थे और कहा साला “कैसे
कमाए” के बारे में सोच सोच के दिमाग की दही हो रही है...
उस से बुरा तो ये की ये बेरोजगारी सिर्फ हमे परेशान नहीं करती है
बल्कि मम्मी पापा को भी परेशान करती है... कहा इस उम्र में उन लोगो को पोती-पोतों
को यानि मेरे बच्चों को खिलाना पिलाना था, कहा वो मुझे खिला पिला रहे हैं...
हीहीही और साथ में गाली भी खिला रहे हैं...
कहाँ उनको बच्चों की शरारतों से परेशान होना था कहा वो मेरी
हरकतों से परेशान हैं... कहाँ उनको सुबह सुबुह पोतों को उठा कर कहना था कि “चलो
बाबू उठ जाओ स्कूल जाना है...” और कहाँ उनको मुझे लात मार के उठा के कहना पड़ता है
कि “अबे अब तो उठ जा नालायक, किसी काम का नहीं है, कुछ कर भी ले हमेशा इसे ही पड़ा
रहता है...”
घर वाले तो हैं ही परेशान पर बाबा जी भी कम परेशान नहीं हैं...
कहाँ अपनी बीबी के साथ लड़ना झगड़ना था कहाँ अभी भी माँ बाप से ही झगड रहा हूं...
कहाँ बीबी के साथ छुप छुप के घुमने का प्लान बनाना था और कहाँ
साला अभी भी वही कमीने दोस्तों के साथ घुमने का प्लान बनाना पड़ता है... अपने गम उन
के साथ ही बांटने पड़ते हैं... उन के कंधे पर तो सर भी नहीं रख सकते साले बहुत जोर
से मारेंगे सर पर चटाक... हीहीही
खेर देखते हैं आगे क्या होता है... कब तक इसे ही झेलना पड़ेगा...
तुम लोगो का भी यही हाल है या नहीं... हाहाहा मजे लो फिर तुम भी इस पल का...
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बाबा बेरोजगार
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