आज कल हर सरकारी काम के लिए थोडा बहुत खर्चा पानी देना ही पड़ता है... वेसे तो कुछ लोगो को ये बहुत बुरा लगता है पर इस के कुछ अच्छे पहलू भी हैं...
आज कल के कलयुग में हर किसी को काम जल्दी से जल्दी करने की लगी पड़ी होती है... इसी तरह जब बात आती है सरकारी काम की तो... फिर तो समझ ही गये होंगे... रो धो के भी कुछ नहीं होता बाबा...
तब एक ही आशा की किरण नजर आती है और वो है थोडा खर्चा पानी... जो किसी वरदान से कम नहीं होती... बहुत काम आती है... क्यूंकि कभी कभी हालत इसे हो जाते हैं कि हम सही हो के भी उसे साबित नहीं कर पाते हैं... इसी टाइम काम आती है थोड़ी बहुत जान पहचान या फिर खर्चा पानी, चाय पानी...
सच में इस कलयुग में चाहे लोग इसे कितना भी बुरा कहे पर बाबा जब खुद पर आन पड़ती हैं ना तब पता चलता है... सरकारी ऑफिस में पहले तो काम कोई करता नहीं है और जब करते हैं तो इसे हाथ धो के काम के पीछे पड़ जाते हैं कि यही सोचते रहते हैं कि आज इस पर किस का भूत आ गया... ये तो बात मान ही नहीं रहा है... कुछ ज्यादा ही जांच पड़ताल कर रहा है... इसे में अगर हम सही भी हो, पुरे कागज भी हो, सच भी कह रहे हो तो बस वो तो मान ने से रहे बाबा...
इसी लिए चाय पानी, खर्चापानी इतनी बुरी भी नहीं है... हा रिश्वतखोरी जरूर बुरी है... पर जितने हम दे सके उतने में काम हो जाते तो इस से ज्यादा तो मध्यम वर्ग का आदमी भगवान् से भी नहीं मांगता बाबा...
बस मैं तो यही कामना करता हूँ कि जब भी मैं या फिर कोई भी बेक़सूर इस तरह की किसी मुसीबत में पड़े तो ये किसी फरिस्ते की तरह आ कर हमे उस मुसीबत से बचाए... बात सही लगे तो शेयर जरूर करना और अपनी कहानी भी बाबा जी को जरूर बताना... जय हो...
- बाबा बेरोजगार
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