कभी कभी मैं ये सोचता रहता हूँ कि जिस तरह से रोज
टीवी न्यूज़ में या फिर फिल्मो, नाटकों में देखतें हैं कि छोटी छोटी बातों में जिस
तरह से बड़े बड़े झगडे हो जाते हैं... खून खराबे तक बात आ जाती है... दिल में बदला
लेने की खुन्नस इस कदर अन्दर ही अन्दर बढ़ जाती है कि वो इंसान शैतान बन जाता है...
जैसा कि हम अक्सर देखते हैं या पढ़ते हैं कि आपसी
रंजिस के चलते खून खराबा हो जाता है... बड़ी बड़ी वारदातें हो जाती हैं... उस हिसाब
से तो किसी से थोड़ी सी ऊँची आवाज में बोलने में भी डर लगता है...
मैं मानता हूँ कि आप में से बहुत लोग अभी मुझे
कायर या फिर और भी बहुत कुछ कहना चाहते होंगे पर फिर भी जरा सोच के देखो अगर किसी
के दिमाग में बदला लेने कि ठन जाये तो फिर वो किसी से नहीं रुकता... जरुरी नहीं कि
वो हम से सीधे बदला ले... जब किसी के दिमाग में बदले का कीड़ा आ जाता है तो फिर
उसका दिमाग ये नहीं देखता कि क्या सही है और क्या गलत... बस उस पर बदले का भूत
सवार होता है... और यही कितनो कि जिन्दगी को नरक बना देता है...
मैं अक्सर यही सोचता हूँ कि किसी से जानबूज कर तो
क्या अनजाने में भी दुश्मनी ना लूं, कारण डर या कायरपन नहीं बस अपनों कि जिन्दगी
को किसी बुरी नजर से बचने का प्रयास भर है...
जिन्दगी बस एक बार मिली है और उसे फालतू चीज़ों
में बर्बाद न कर के बस प्यार, सम्मान और अपनापन बाँटना है... चाहे किसी को हम जाने
न जाने उस कि इज्जत करे, छोटी छोटी बातों पर अपना गुस्सा न दिखाएं, बस सामने वाले
को प्यार से समझाओ और गलती किसी कि भी हो बात को वही दबाने कि सोचें...
मैं अक्सर जब भी बाज़ार या फिर कही अपनी स्कूटी
में जाता हूँ तो अगर किसी से गलती से टक्कर होते होते बचे, या फिर कोई बिना देखे
आगे आजाये, मूड ख़राब कर दे, तो बहुत कण्ट्रोल कर के मैं बस हलकी सी मुस्कान दे कर
अपना और उसका मूड सही कर के बताता हूँ कि गलती मेरी थी या उसकी... बस उस का भी दिन
अच्छा जाता है और मेरा भी...
बस यही छोटी सी बात हम सब को समझना है बाबा
जी... जिन्दगी अपने आप जन्नत बन जाएगी... और जो आज कल ये बे मतलब का गुस्से का
शैतान हमारे अन्दर कब्ज़ा करना चाह रहा है उसे जड़ से उखाड़ फेंकना है...
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बाबा बेरोजगार
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