भारत बांग्लादेश
सीमा का पुनर्निर्धारण और जमीन समझौते होने से अब वह रह रहे लोगो को बड़ी राहत मिली
है... 68 साल बाद आधी रात को 1 अगस्त लगते ही सीमा के दोनों तरफ रह रहे विस्थापित हजारों
लोगो को उनके अपने - अपने देश की नागरिकता मिल ही गई...
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आज न्यूज़ पेपर्स में सबसे अच्छी कोई खबर लगी तो वो यही लगी की
कितने सालों से भारत बांग्लादेश सीमा में रह रहे लोग जो अपने देश की नागरिकता के
लिए न जाने कब से आस लगाये बैठे थे उन को उनका हक आज मिल गया है...
मैंने बहुत सी न्यूज़ पेपर्स की खबरों में पढ़ के ये पोस्ट लिखा है
ताकि ये एतिहासिक पल मैं भी अपने ब्लॉग में संभाल के रख सकूँ...
pc - rediff.com
अभी तक दोनों देशों
के बीच फंसे इन लोगो के पास न तो नागरिकता का कोई सबूत था न देश से मिलने वाली कोई
मूलभूत सुविधा जैसे हॉस्पिटल, स्कूल तक नहीं... पर अब इन लोगो को आज सुबह के साथ
ही आजादी मिल गई है... जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की बांग्लादेश
यात्रा में ये घोषणा की गई थी की अब जमीन की अदला बदली का समझोता जो 1974 से अटका
हुआ था (16 मई 1974 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गाँधी और बांग्लादेश के पीएम
मुजीबुर्ररहमान के बीच हुआ था ) पर भारतीय सविधान में संशोधन के कारण अटका हुआ
था... वो अब हो गया है और संसद में मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया गया...
pc - TheIndianExpress
इस के लिए एक महीने का सर्वे किया गया जिसमे इन लोगो से पूछा गया
कि कौन किस देश में रहना चाहता है... फिर उसी हिसाब से इन्हें उस देश की नागरिकता
दी गई... कुल 162 बस्तियों का आदान प्रदान हुआ है... बांग्लादेश जहा भारत को 51
बस्तियां सोपेंगा वही भारत 111 बस्तियां देगा... इन लोगो के लिए ये ईद और दिवाली
जैसे त्योहारों से कम नहीं है... जिन्हें किसी भी देश या मुल्क का नहीं माना जाता
था वे अब अपने वतन के हो गये हैं...
pc - abplive.in
भारत में 111 कॉलोनी
में 37000 बांग्लादेशी रहते हैं जो 1947 व 1972 के युद्ध के बाद बसे थे... ये अब
बांग्लादेश के नागरिक हो जायेंगे... साथ ही बांग्लादेश में रह रहे 14 हजार लोग
शुक्रवार आधी रात से भारतीय हो गये... इन्हें अब 68 साल बाद पहचान मिलेगी...
शुक्रवार रात 12:01 बजे दोनों देशो के अधिकारीयों ने अपनी अपनी कॉलोनी में अपने
अपने देश का झंडा लगाया... और अपने अपने देश का राष्ट्र गान बजाया... असल में इन
के लिए आजादी का दिन 1 अगस्त ही है...
pc - abplive.in
असम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल राज्य की कॉलोनी की अदला
बदली हुई है... इन्हें अब विशेष कोड दिए गये है जिन से वो अब भारतीय नागरिक होने
का हक पा चुके हैं और साथ में स्कूल, बिजली, स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी भारतीय
सेवाओं का अधिकार भी मिल जायेगा..
भारत सरकार का कोई काम अच्छा लगा हो या न लगा हो पर इस काम के लिए
सभी लोग दिल से दुआ ही दे रहे होंगे... और इन सब लोगो की आजादी की ख़ुशी में हम भी सरीक
हैं...
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बाबा बेरोजगार
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