जब भी अपने रूम में किसी
बैग या डब्बे में नजर घुमाता हूँ तो बस Admit Card के cover या फिर admit card ही नजर
आते हैं और याद आता है ये कि साला अब तक कितने पेपर दे चुका हूँ... पर साला वहीँ
के वहीँ ही हैं...
मुझे याद है वो दिन जब हम सब दोस्त ऐसे ही आपस में बातें कर रहे
थे जब एक जॉब का Form भर रहे थे... तो
मेरे दोस्त ने कहा साला पेपर देते देते उम्र जयादा न हो जाये तो मैं भी हँसते हुए
कहा की जब उम्र होने ही वाली होगी तो form भरते समय एक
चिट्टी भी लिख देंगे कि “सर ये लास्ट बार भर रहा हूँ... अब तो सेलेक्ट कर दो
यार....”
बात चाहे हंसी
में उड़ा लू पर बात में दम तो है की यार अब बहुत हो गया यार... अगर सिर्फ Admit Card भी
कबाड़ी को बेचे ना तो साला उसी में अमीर हो जाऊँगा.... हाहाहा
पता नहीं क्या
हो रहा है अपन के साथ... कभी कभी तो पता नही क्या हो जाता है अपनी जिन्दगी के बारे
में सोचते सोचते... फ़िल्मी स्टाइल में सोचता हूँ की आत्महत्या कर लूं पर फिर सोचता
हूँ भई क्यों करूँ???? उस से कौन सा भला हो जायेगा हीहीही
भई कुछ ना होता
है आत्महत्या कर के भी.... बड़ी मुश्किल से इंसानों वाली जिन्दगी मिली है दोस्त...
बहुत कीमती है.... मजाक में मत लो... खुल के जियो... अगर Exam में Fail भी हो जाओ तो
क्या हो गया यार... दुबारा मौका भी तो मिलता है... अब मुझे ही ले लो... 7-8 साल से
लगा हूँ सरकारी जॉब के चक्कर में... फिर भी कुछ नहीं हो रहा है पर इसका मतलब ये
थोड़े न है कि बस हार मान लूं.... लगे पड़े हैं हम भी.. तुम भी लगे रहो... कुछ न कुछ
हो ही जायेगा...
pc - google
बस यही कहूँगा
अब लास्ट में कि खाओ पियो मजे करो और हा जो सोचा है, सपना देखा है उस के पीछे हाथ
धो के पड़ जाओ... कुछ तो हाथ लगेगा.... बाबा जी आप के साथ हैं....
आज का बाबा
ज्ञान “ जिन्दगी झंड बा... फिर भी घमंड
बा... “
हीहीही...
- बाबा बेरोजगार
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