साला ये मध्यम वर्ग की
जिन्दगी भी ना किसी नरक से ज्यादा नहीं तो कम भी कही से नहीं है... ये सिर्फ वही
जान सकता है जो इसे हर रोज झेलता है और बस ये सोच कर मन को फिर से खुश कर देता है
की चलो आज नहीं तो कोई बात नही कल पक्का ये सब बदलेगा... और हम भी चैन सुकून की
जिन्दगी जियेंगे... एक छोटी से छोटी प्रॉब्लम भी साला ऐसी लगती है की न जाने
भगवान् ने कितनी बड़ी मुसीबत का पहाड़ तोड़ दिया हो...
pc - google
हर रोज, हर रोज
एक नया ड्रामा l और उस ड्रामा के चक्कर में साला पूरे दिन की वाट लग जाती है... पर
फिर भी, तभी एक छोटी सी बात आती है और सब के चेहरों पर फिर मुस्कान आ जाती है...
लगता है की इस से अच्छी जिन्दगी तो साला और हो ही नहीं सकती पर वो सिर्फ एक कोरी
कल्पना होती है... जो किसी भी पल बदल सकती है...
फिर भी इंसान
फ्यूचर के बारे में बहुत सोचता है वो भी सिर्फ भगवान् भरोसे.. जय हो...
हंसी आ रही है पर ये मजाक की बात भी नहीं है... कहते हैं न
“जिन्दगी झंड बा... फिर भी घमंड बा...”
कुछ भी हो जाये अब एसी जिन्दगी लिखी ही है तो हमे भी जीने
में कोई तकलीफ नही... भई अगले जनम का क्या भरोसा... क्या मालूम क्या बन के पैदा
होंगे.. क्या सोच के साथ पैदा होंगे.... किस जगह पैदा होंगे.... इस लिए इस जनम की
सोच तो साला इसी जनम में पूरी करूँगा... लोगो को जो कहना है कह ले.... सो सोचा है
वो मरने से पहले जरूर करना है....
जो लिखा है अपने दिल की बात है.... आप क्या सोचते हो...
- बाबा बेरोजगार
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