जिन्दगी की रेलगाड़ी चलाना भी वेसे ही है जैसे हमारे देश की रेलगाड़ी... कभी अच्छी चलती है कभी कोई गड़बड़ हो जाती है... कभी टाइम पर तो कभी लेट... कुछ न कुछ होता रहता है...
जब भी लगता है की जिन्दगी की रेलगाड़ी सही चल रही है, मोसम भी सुहाना है और सफ़र भी आराम से कट रहा है कि तभी कुछ ऐसा हो जाता है कि गाड़ी में ब्रेक लगाना पड़ जाता है... न लगाओ तो एक्सीडेंट भी हो सकता है या फिर कुछ नुकशान भी हो सकता है...
जिन्दगी की गाडी आराम से चल रही थी कि अचानक किसी अनजान शख्स ने रेल की पटरी काट दी... जैसा की हमारे देश में भी आज कल हो रहा है... पता नहीं कौन रेल की पटरियां काट रहा है... कोई दुश्मन या कोई खुरापाती दिमाग का...
अब अगर खबर टाइम से मिल जाये तो गाडी को रोक लिया जाता है और पटरी के दुबारा बनने तक गाड़ी रोक दी जाती वेसे ही जिन्दगी की गाडी थोड़ी रुक जाती है पर सही सलामत रहती है पर....
अगर पता न चले उसे खुरापाती शख्स और उसके गलत काम का तो एक्सीडेंट हो जाता है... जैसे रेलगाड़ी पटरी से उतर जाती है वेसे ही जिन्दगी की गाड़ी भी पटरी से उतर जाती है... सब कुछ बिखर जाता है... उस गाड़ी को बनाने और उसे पटरी पर लाने की सारी मेहनत एक झटके में बर्बाद... सब जगह डब्बे बिखरे होते हैं... क्यूंकि अभी शादी नहीं हुई है तो हम अभी अपने आप को एक माल गाडी मान सकते हैं जिसके डब्बे में बस सामान था और वो खुद बैठा गाड़ी चला रहा था... इसलिए किसी और को नुक्सान नहीं हुआ... और सरकार यानि हमारी फॅमिली ने सारे नुकशान को भरने के लिए मदद कर दी... नयी गाडी के लिए मदद की पर वो गाडी जिसे तब से संभाल कर चला कर इतनी दूर लाये वो किसी खुरापाती दिमाग या किसी गलती से पटरी से उतर गई... और हम उसे दूर से सिर्फ देखते रह गए..
वही अगर आप शादीसुदा हो तो ये और भी बुरा हो जाता है क्यूंकि तब आप माल गाडी नहीं बल्कि पैसेंजर ट्रेन होते हैं जिस पर आप के साथ आप की बीबी और बाकि के लोग भी होते हैं और वो भी आप के साथ दुखी होते हैं... आप को फिर से नई गाडी के लिए मदद करते हैं, साथ देते हैं उस गाडी को दुबारा से पटरी पर लाने में... कुछ हार मान जाते हैं पर जो नहीं मानते उनकी नयी गाडी बड़ी मस्त चाल में सुहाने मौसम में सफ़र का आनंद लेते हुए आगे बढती है...
तो अब ट्रेन पटरी से उतर भी गई हो तो कुछ नहीं किया जा सकता... पुरानी गाडी को सही करो या नयी गाडी लो... दुबारा से सफ़र शुरू करो जिन्दगी का... और सब को साथ ले कर चलो... मज्जे करो...
- बाबा बेरोजगार
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