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Friday 27 November 2015

उनकी आँखों ने सब कह दिया... : "Family is Everything"

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बहुत दिनों बाद मेरे दूर के रिश्तेदार गाव से हमसे मिलने आये थे... बहुत अच्छा लगा उनसे मिलके हर बार की तरह... पर उनको देख के लग गया कि उनको कुछ न कुछ चीज अन्दर ही अन्दर परेशान कर रही है और उनकी सेहत भी ख़राब कर रही है... उनकी आँखों ने सब कह दिया...

family is everything

source - akorra.com


       आज के अपने परिवार की हालत देख कर शायद तब उन लोगो ने नहीं सोचा होगा जब उनके घर दो दो लड़के हुए... बेटियाँ तो थी पर हर किसी की तरह उन्हें भी बेटे की चाहत थी... जब हुआ तो पूरे गाव में न्योता दिया गया, धूम धाम से खुशियाँ मनाई गई...

       सब को पढाया लिखाया... बेटों को बेटियों से ज्यादा पढ़ा लिखा के अच्छी नौकरी के लायक बनाया... जो लायक नहीं था उसको भी थोडा जोर दे कर नौकरी लायक बनाया... उनकी जिन्दगी संवारी... ये सोच कर कि बेटियां तो पराये घर चली जाएँगी पर बेटे तो यही साथ में रहेंगे... माँ बाप का ख्याल रखेंगे... छोटी बड़ी चीज़ों का ध्यान रखेंगे...


family is everything
source - facebook.com


       वक़्त गुजरा बेटों की शादी हो गई... बहुएं आई... पूरा गाव बोला कि बहुएं भी बहुत संस्कारी है... अच्छी किस्मत ले के आई हैं... सब कुछ सही चल रहा था पर....

       पर... ये “पर” शब्द पूरी कहानी बदलने कि ताकत रखता है... पर वक़्त ने किस्मत बदली या फिर कुछ और... बहुओं में आपसी टकराव हुआ... घर का बटवारा करने की लड़ाई शुरू... हर घर कि कहानी... भारत पाकिस्तान विभाजन वाली स्थिति... जिसमे फायदा किसी का भी हुआ हो पर नुकशान तो देश की जनता और इस कहानी में माँ बाप का ही हुआ...

       बटवारा होते ही बस दोनों बहुएं अपने अपने घर को अपने अपने ढंग से चमकाने सजाने में लग गई... माँ बाप को अब कौन पूछे... टाइम मिला तो हाल चाल पूछ लेते... शुरुवात में लोगो के डर से दोनों अपनी इज्जत बढाने के लिए अपने अपने किचन से खाना पका कर सास ससुर को खिलाने लगे... पर धीरे धीरे ये एक बोझ लगने लगा... फिर क्या लोगो को बोलने दे जो बोले... हम से तो ये अच्छाई का ढोंग अब न हो पायेगा...

       सास ससुर को उनके हाल में छोड़ कर अपनी अपनी जिन्दगी में खो से गये... बेटे छुटियों में घर आते... बीबियाँ पहले ही उन्हें अपने प्रेम जाल में फंसा कर बात को अपने हक़ में कर लेती... फिर क्या माँ बाप के सामने उनके ही तरफ होते... माँ बाप समझ गये कि ये तो गये हाथ से... इनके सामने रोने से कुछ नहीं होगा बाबा...

family is everything
source - sundayobserver.lk

       अब सब कुछ अलग अलग हो गया है... घर माँ बाप ने बनाया है और अच्छी पेंशन है, पैसे की कोई कमी नहीं है इसलिए घर से नहीं निकाल पायी ये बहुएं... वरना अख़बारों की हजारों ख़बरों में एक खबर इनकी भी होती कि वृद्ध-आश्रम भेज दिया बहुओं ने... माँ बाप तो बस प्यार और साथ चाहते थे पर हद है इन कलयुगी बच्चों पर...

       आज ये नोबत आ चुकी है कि एक बेटा बीवी के प्यार में ऐसा खोया है कि माँ बाप से मिलने एक मंजिल चढ़ के ऊपर वाले कमरे में नहीं जाता... माँ बीमार हो तो हाल चाल नहीं पूछता... बीवी सब संभाल लेती है अपने जादू से... माँ का ऑपरेशन भी हो तो लोगो के ताने सुन कर बड़ी मुश्किल से एक फ़ोन करता है और पैसे चाहिए क्या ये कह कर अपना पल्लू झाड देता है... क्या बस इतना ही रह गया है अब एक बेटे की अपने माँ बाप की तरफ अपनी जिम्मेदारी...

       आज भी टीवी में कोई अच्छे बेटे वाला सीन आये तो बाप के मुह से बस गाली ही निकलती है... हम उनको अपनी तरफ से सारी खुशियाँ देने की कोशिश कर रहे हैं... पर अपने तो अपने हुए... उनके दिए गम बाकि खुशियों से ज्यादा ही हुए... वापिस जाते जाते भी खुश तो हैं पर फिर वही उसी घर में अपने बेटे के इतने नजदीक होते हुए भी दूर रहने का गम... खुश तो रहते हैं पर उनकी आँखें सब कह देती हैं...

उनके जाने के बाद सोचा... ऐसे भी बेटे होते हैं बचपन से ये ही सोचता रहता था... आज आईने में खुद को देख के यही कहा कि “मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा... और आप...???”

-    बाबा बेरोजगार














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