अक्सर मेरी और माँ के बीच बहस होती रहती है... हंसी मजाक के साथ... जब भी वो मुझे कुछ समझाते हुए डांटती है तो मैं कोई न कोई पॉइंट मार के भाग निकलता हूँ... पर माँ तो माँ है...
हर पॉइंट का तोड़ होता है माँ के पास... मैं सोचता था कि मैं बहुत तेज हूँ अपनी बातों से दोस्तों को तो घुमाता ही हूँ तो सोचा जब घर वाले डांटेंगे तो उनको भी बातों में फंसा के निकल लूँगा...
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पर मेरी माँ तो मेरी माँ (कुमाउनी में “माँ” को “ईजा” कहते हैं) ही है... कोई सी भी बात करू उसका तोड़ निकाल ही लेती है... वेसे तो हमारी हर दिन कोई न कोई नोक झोक होती रहती है पर आज तो एक दम गजब वाला पॉइंट मारा मम्मी ने... जिसे मुझे समझने में थोडा टाइम लगा पर उस के बाद बहुत हंसा और मन ही मन माँ को सलाम किया....
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वही रोज की तरह आज सुबह भी माँ मुझे बता रही थी कि
"रिश्तेदार का लड़का अच्छी जॉब लग गया और तू उल्लू की तरह घर में पड़ा है..."
तो मैंने कहा कि "उल्लू पता है लक्ष्मी का वाहन होता है..."
तो माँ ने कहा कि “हाँ हाँ तू लक्ष्मी उड़ा ही रहा है कौन सा कमा रहा है...” ...
वेसे तो बेज्जती हो रही थी पर कोई नहीं मजा आ गया... जय हो...
- बाबा बेरोजगार
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