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Tuesday 1 September 2015

खटीमा और मसूरी गोलीकांड की 21वी बरसी : 21st Anniversary of Khatima & Mussoorie Martyrs

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हम उत्तराखंड राज्य के नागरिक जरुर हैं पर ऐसा कुछ हम ने नहीं किया होगा जिस से इस का नाम ऊँचा कर सके... कोई बात नहीं हर कोई नहीं होता ऐसा... पर कम से कम इस राज्य को बनाने के लिए लोगो ने जो जो क़ुरबानी दी है उसे तो याद कर सकते है...

21st Anniversary of Khatima & Mussoorie Martyrs 01-09-2015 - BABA BEROJGAAR



      उत्तराखंड राज्य इसे ही हमे नहीं मिल गया था... आज हम इतने बड़े भारत देश में अपनी अलग पहचान से जाने जाते हैं तो सिर्फ उन महान लोगो की क़ुरबानी के कारण... जिन्होंने इस अलग राज्य के लिए, हम सब के सुन्दर भविष्य के लिए, एक अलग छोटा सा सुन्दर राज्य बनाने के लिए अपने प्राणों को कुर्बान कर दिया था...

      उत्तराखंड के अलग राज्य के लिए आन्दोलन बहुत पुराना है पर जो एक अहम् घटना हुई थी वो सन 1994 में... जब उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए खटीमा में जन सभा के लिए जमा हुए थे और पुलिस ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के फायरिंग करा दी थी... जिस में कई लोग शहीद हुए थे और बहुत से घायल हुए थे... ये आज के ही दिन 1 सितम्बर 1994 को खटीमा में हुआ था.... इस लिए इसे खटीमा गोली कांड और उत्तराखंड का ब्लैक डे (Black Day) भी कहते हैं...

      वहीँ मसूरी में 2 सितम्बर को खटीमा गोली कांड के विरोध में मौन जुलुस निकलते हुए लोगो पर फिर पुलिस ने फायरिंग की... जिस में कई लोग शहीद हुए और बहुत से घायल हुए... बोलने को हमे उत्तराखंड राज्य अलग से मिल गया... पर इस के लिए लोगो ने जो कुछ किया है वो कभी न भूलें...

      मैं जितना जानता था उतना लिखा है... कुछ रह गया हो तो जरूर बताये... ये भी हमारे उत्तराखंड निर्माण के इतिहास का एक अहम् आन्दोलन हैं...
     

-    बाबा बेरोजगार 

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