सब कुछ एक पल में बर्बाद कर हो जाता है जब हर कोई आप को आपकी नोकरी और पैसे के हिसाब से देखने लगता है... हर जगह पहला सवाल यही होता है कि और क्या कर रहे हो आज कल... चाहे वो रिश्तेदार हो, आपका प्यार हो या फिर आपके पुराने दोस्त... बस इसी वजह से आज कल हर कोई असल दुनिया में सब से दूर रहना चाहता है और बस सोशल नेटवर्क में ही अपनी जिन्दगी जी रहा है... क्यूंकि वहां कोई नहीं पूछता कि आप क्या करे हो आज कल... और पूछ भी ले तो ऑफलाइन का आप्शन तो है कम से कम...
स्कूल में आप टोपर नहीं भी हो तो भी पास हो कर अगली क्लास में जा सकते हो... आप पास हो पर लाइफ में ऐसा कोई रूल नहीं है... आप सीधे बर्बाद हो... लोग आप को इतने ताने मारेंगे कि या तो आप खुद मर जाओगे या फिर सब को भूल कर इस बर्बादी का मजा लोगे...
किसी भी फंक्शन में जाने की हिम्मत नहीं होगी... पुराने दोस्तों से मिलने में भी डर लगेगा... कोई रीयूनियन पार्टी नहीं... सब के सवालों से बच कर सुकून से जीना चाहोगे... चाहोगे कि इन सब से दूर कही सुनसान जगह में चला जाऊ... जहाँ कोई सवाल करने वाला न, कोई ताने मारने वाला न हो, कोई आप से ज्यादा सक्सेस न हो... बस अकेले अपने आप में खुश...
जिन दोस्तों से स्कूल में लाख गुना बेहतर थे, वो आज बहुत आगे निकल चुके हैं... शादी, बीबी, बच्चे, नोकरी, घर... सब कुछ है उनके पास... और अपने पास एक फ़ोन, 4G इन्टरनेट, एक काम चालू जॉब... कुछ पैसे जिस से जिन्दगी अच्छी चल रही है आप के हिसाब से, पर लोगों के लिए कुछ भी नहीं... आप लोगों की नजर में गिर चुके हो... आप एक बेहतर और अच्छे स्टूडेंट हुआ करते थे स्कूल में... टीचर, रिश्तेदार, घर वाले, दोस्त, आपका प्यार... सब की नज़रों में गिर चुके हो... आगे कुछ भी अच्छा नहीं है जिन्दगी में अब... बस लाइफ काट लो जैसे तैसे... सब एक एक कर के आप से दूर होजाते है... आप अपने आप को इन्टरनेट में भुला देना चाहते हो... पर इन्टरनेट में आपके दोस्तों, आपके स्कूल के पुराने दोस्तों को उनके ख़ुशी के पल फेसबुक में सब के साथ बांटते देख कर लगता है कि काश...
मैं भी इनके जैसे कुछ पोस्ट करता, अपनी लाइफ दूसरों के साथ शेयर करता... पर नहीं... नहीं कर सकता... क्यूंकि मेरी लाइफ में कुछ भी ऐसा खाश नहीं जो लोगों के साथ बाँट सकूँ...
कभी कभी लगता है पहले की लाइफ सही थी... आदिमानवों वाली... उठो, शिकार करों, खाओ, सो जाओ...
कोई प्राइवेट जॉब, सरकारी जॉब, प्यार, बीबी, पैसा, घर का लफड़ा नहीं... सब बराबर थे... कोई खरगोश मार के खा लेता तो कोई कीड़े खा के जी लेता... कोई शो ऑफ नहीं... कोई दिखावा नहीं... बस जिन्दगी काटों...
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