फिर से मंडे आया है, वापस काम पर बुलाया है। संडे की जरूरत कॉलेज और जॉब दोनों में बराबर है। तब और अब संडे जितनी देर से आता है उतनी जल्दी चला भी जाता है।
संडे भी लाइफ के उन चंद खुशी के पलों की तरह है जिसकी तयारी हम बहुत टाइम से करते है, खूब प्लानिंग और सपने साजों के, ये करेंगे वो करेंगे... पर जब वो दिन आता है तो बस इतनी जल्दी से गुजर जाता है और यादें छोड़ जाता है। कुछ पता ही नही चलता टाइम का।
संडे का भी कुछ ऐसा ही ड्रामा है, पूरे हफ्ते सोचते हैं कि संडे को ये करूँगा वो करूँगा, घूमूंगा, खाऊंगा पियूँगा, बहुत कुछ करूँगा पर जब संडे आता है तो बस देखते देखते गुजर जाता है और शाम को यही सोचते हैं कि आज तो कुछ भी नही किया।। चलो कोई बात नही अगले संडे ये करूँगा वो करूँगा।
- बाबा बेरोजगार
संडे भी लाइफ के उन चंद खुशी के पलों की तरह है जिसकी तयारी हम बहुत टाइम से करते है, खूब प्लानिंग और सपने साजों के, ये करेंगे वो करेंगे... पर जब वो दिन आता है तो बस इतनी जल्दी से गुजर जाता है और यादें छोड़ जाता है। कुछ पता ही नही चलता टाइम का।
संडे का भी कुछ ऐसा ही ड्रामा है, पूरे हफ्ते सोचते हैं कि संडे को ये करूँगा वो करूँगा, घूमूंगा, खाऊंगा पियूँगा, बहुत कुछ करूँगा पर जब संडे आता है तो बस देखते देखते गुजर जाता है और शाम को यही सोचते हैं कि आज तो कुछ भी नही किया।। चलो कोई बात नही अगले संडे ये करूँगा वो करूँगा।
- बाबा बेरोजगार
No comments:
Post a Comment