बढती ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय सहित विश्व के सभी ठन्डे प्रदेशों के ग्लेशियर धीरे धीरे पिघल रहे हैं... हिमालय दिवस पर खास...
उत्तराखंड देश के 11 हिमालयी राज्यों में से एक है...
11 हिमालयी पर्वतीय राज्य
- जम्मू कश्मीर
- हिमांचल प्रदेश
- उत्तराखंड
- असम
- त्रिपुरा
- मणिपुर
- मिजोरम
- मेघालय
- नागालैंड
- सिक्किम
- अरुणांचल प्रदेश
NOTE - {पश्चिम बंगाल (अब बंगाल) का पर्वतीय क्षेत्र भी इसमें सम्मिलित किया जाता है}
9 सितम्बर 2010 को सभी पर्यावरणविद ने बैठक कर के बढती ग्लोबल वार्मिंग के असर को देख कर हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण के लिए इस दिन को “हिमालय दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय किया...
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चिंता इस बात की भी है कि जिस तरह से उत्तराखंड के पहाड़ों में लगातार जंगलों का कटाव, अवैध खनन हो रहा है उस कारण से आपदाओं का प्रहार भी लगातार हो रहा है... चाहे वो पहाड़ों में हो रहे भूस्खलन हो या भी बाढ़... और 2013 में केदारनाथ आपदा हो...
अभी हाल में "पंचेश्वर बांध" के निर्माण का भी विरोध तेज हो गया है... क्यूंकि पर्यावरण के जानकारों का मानना है कि इस से पहाड़ों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जिस के लिए वो कच्चे हैं और इस दबाव के कारण भूकंप आने के आसार बढ़ जाते हैं...
अभी हाल में "पंचेश्वर बांध" के निर्माण का भी विरोध तेज हो गया है... क्यूंकि पर्यावरण के जानकारों का मानना है कि इस से पहाड़ों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जिस के लिए वो कच्चे हैं और इस दबाव के कारण भूकंप आने के आसार बढ़ जाते हैं...
एक बड़ी वजह ग्लेशियर के धीरे धीरे पिघलना भी है... इसी कारण अब उत्तराखंड सरकार भी इस मुहीम में साथ दे रही है और 9 सितम्बर 2015 से आधिकारिक रूप से हिमालय दिवस हर साल
आयोजित कर रही है...
इसलिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाये... जगलों को आग से बचाए और बेवजह कटाव से बचाए... ये सिर्फ हमारे नहीं बल्कि हजारों पशु - पक्षियों का घर भी है... बहुत सी प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं... अवैध और गैरकानूनी शिकार भी इनके विलुप्ति का बड़ा कारण है... इस प्रकार के अपराधियों की शिकायत सरकार और पुलिस से करे... जय हिमालय, जय उत्तराखंड, जय हिन्द
- बाबा बेरोजगार
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