अक्सर लोग कहते हैं कि हम अपनी गलती से ही सीखते हैं... पर कभी कभी सिखने में बहुत देर हो जाती है... जैसे कि अपने फ्यूचर के बारे में सही से प्लान करना... पर उसे फिर से सुधार कर सही किया जा सकता है... बस हार नहीं मारनी है... अक्सर लोग छोटी छोटी बातों से हार मान लेते हैं... कल ही मैंने न्यूज़ में देखा कि एक बच्चे ने छत से कूद के जान दे दी... अब इतनी सी उम्र में गलती के लिए इतनी बड़ी सजा नहीं सोचनी चाहिए... लम्बी उम्र पड़ी है... लाइफ कितनी भी बिगड़ गई हो उसे सुधार जा सकता है... अब मुझे ही देख लो... कुछ नहीं है अब तक, पर आगे होगा जरूर...
जब भी मैं अपने फ्यूचर के बारे में सोचता हूँ तो मुझे अपनी पहली की गई गलतियाँ याद आती हैं... जिन्हें में चाह कर भी अब नहीं बदल सकता और अब उसे सुधारने में इतनी देर हो चुकी है कि सायद ही इसे बदल कर सही कर सकू... मानता हूँ कि दूसरा मोका मिलता जरूर है पर कुछ कमी के साथ... जो कुछ पहले मिल सकता था वो सायद ही दुबारा मिल सके...
जब मैंने 12 पास किया तो उस टाइम इन्टरनेट इतना ज्यादा लोकप्रिय न होने के कारण मुझे ये नहीं पता था कि मैं आगे क्या करू... सिर्फ इतना पता था कि बी टेक करो या फिर पॉलिटेक्निक... बी टेक महंगा था तो पॉलिटेक्निक का फॉर्म भरा... नहीं सेलेक्ट हुआ तो... B.Sc. कर ली... वहाँ भी ज्यादा कुछ ध्यान नहीं दिया... साथ वालों ने दुबारा पॉलिटेक्निक भरा और वही करने लगे, कोई H.M. करने लगा... सबने सोच लिया था क्या करना... कैसे करना है... और मैं वेसा का वेसा...
फिर ग्रेजुएशन के बाद पॉलिटेक्निक से कंप्यूटर में PG course किया... थोडा काम आया... कम से कम फॉर्म भरने और छोटी मोटी जॉब के लिए... और आज देखो छोटी जॉब से आगे नहीं बढ़ पा रहा हूँ...
जिसके सबसे Main 2 कारण हैं... पहला तो ये कि मैंने 12 के बाद ये सोच जो हर मध्यमवर्गीय सोचता है इसमे बहुत खर्चा होगा, रहने दो... जिस के कारण में आज तक परेशान हूँ... आप सब से भी यही कहूँगा कि अगर कोई अच्छी चीज़ से अगर थोडा घर वालो को लोन भी लेना पड़े और आप को लगता है कि इसे के बाद अच्छी जॉब लग जाएगी जिस से लोन कि किस्ते जल्दी निपटे तो जरूर करे... घर वाले बस एक बार परेशान होंगे... पर बाद में जिन्दगी भर नहीं...
दूसरा ये कि मैंने अपने घर वालो की राय ज्यादा गंभीरता से नहीं ली... मानता हूँ कि हम सब यही सोचते हैं कि हमारे घर वालो को ज्यादा पता नहीं होता है... पर एक सच ये भी है कि जितना पता होता है वो बिलकुल सही होता है... एक बार उनकी सुनकर भी देखनी चाहिए...
मैंने ये दोनों गलतियाँ कि जिसको मैंने भुगता भी... ऐसा नहीं है जो ये सब करता है उसके साथ बुरा नहीं होता... वो अलग बात है पर जो अपने हाथ में हो वो जरूर करे...
पर इसका ये भी मतलब नहीं कि अब लाइफ बिलकुल ख़राब हो गई है... इसका एक पॉजिटिव साइड भी है कि मैंने बहुत कुछ सिख लिया है इतनी उम्र में भी... आगे के लिए काम आएगा... अभी भी बहुत से मोके हैं... जो करना है फिर से प्लान बना के शुरू हो जाओ... तो ये तो मैंने जो सिखा सोचा कोई और मेरी तरह ऐसी गलती न करे... और कर भी ले तो हार न माने... जय हो बाबा जी की...
- बाबा बेरोजगार
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