जैसा कि मैंने बताया था कि
मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूँ l जिसे देवभूमि भी कहते हैं... देवभूमि इसे ऐसे ही
नहीं कहते हैं, यहाँ भगवान् विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर “बद्रीनाथ” स्थित है और
भगवान् शिव का प्रसिद्ध मंदिर “केदारनाथ” स्थित है... गंगा नदी का उद्गम स्थल
“गंगोत्री” है, यमुना नदी का उद्गम स्थल “यमुनोत्री” भी यही स्थित है l जहाँ देश
विदेश से लोग दर्शन के लिए आते हैं...
बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है....
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जो की इस
प्रकार हैं.... बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री l बद्रीनाथ उत्तराखंड
के चमोली जिले में स्थित है l जिस की पुनर्स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने किया
था... बद्रीनाथ जी के कपाट साल में सिर्फ 6 महीने ही खुले रहते हैं... बाकी 6
महीने वह बर्फ गिरी रहती है जिस कारण यातायात संभव नहीं हो पता है...
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बद्रीनाथ नर और
नारायण नाम के दो पर्वतों के बीच में स्थित है... बद्रीनाथ पंच बद्री में से एक
है... बाकि क्रमशः हैं – योग्धायन बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री
l
यहाँ पर एक तप्त कुंड है जिस में भयंकर ठंडी में जब चारो और बर्फ
जमी होती है फिर भी इस में साल भर गर्म पानी आता है... यहाँ देखने और भी बहुत सी
अच्छी जगहे भी हैं... जैसे की व्यास गुफा, भीम पुल, गणेश गुफा l
बद्रीनाथ धाम से थोड़ी दूर सरसवती नहीं पर भीम पुल है... भीम पुल
के बारे में कई लोकोक्क्तियाँ हैं कि महाभारत काल में जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे
तो रस्ते में सरस्वती नहीं मिल गई तो पांडवो में सरस्वती से प्रार्थना की कि हमे
उस पार जाने के लिए रास्ता दें पर सरस्वती ने उनकी ना सुनी तो भीम ने गुस्से में आ
कर दो विशाल चट्टानों को नहीं के ऊपर रख कर पुल बना दिया जो आज भी मौजूद है और भीम
पुल के नाम से प्रसिद्ध है...
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सरस्वती नदी बस यही दिखती है उस के बाद थोड़े आगे जा कर वो अलकनंदा
नदी में मिल जाती है... पर कहा जाता है की सरस्वती और अलकनंदा नदी का संगम दिखाई
नहीं देता है... इस बात पर भी एक कथा है की भीम में क्रोध में अपने गदा के प्रहार
से सरस्वती को पाताल में भेज दिया था...
एक कथा और है की जब भगवान् गणेश जी महाभारत की कथा लिख रहे थे तो
सरस्वती नदी के कारण बहुत शोर हो रहा था... गणेश जी ने सरस्वती जी को कहा की शोर न
करे उन्हें कार्य में व्यवधान हो रहा है पर सरस्वती नहीं आई और न ही उनकी बात
मानी... जिस से नाराज हो कर गणेश जी ने श्राप दिया की आज के बाद इस से आगे तुम
किसी को नहीं दिखोगी..
बद्रीनाथ जोशीमठ से आगे
है,,, यहाँ जाने का बेस्ट टाइम अप्रैल-मई का है,,, क्यों कि तब थोडा गरम मोसम भी
होने लगता है... और बारिश भी नहीं होती तो रोड भी सही रहती है.. क्युकि फिर मई के
बाद तो बारिश के मौसम शुरू हो जाता है...
तो फिर जाईये और हमे भी
बताइए कैसा लगा.... आप भी कुछ और अच्छी जानकारी जानते हैं तो हमे कमेंट करे.. बाबा
जी यही बैठे है आपके रिप्लाई के इन्तेजार में...
- - बाबा बेरोजगार
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