पिछले पोस्ट में मैंने आप को बताया था की ऑनलाइन हिंदी
टाइपिंग करना बहुत मुश्किल हो रहा था |
पर अब मै ऑफलाइन पोस्ट लिख रहा हूँ और काफी अच्छा महसूस कर
रहा हूँ क्युकि इस से मेरा फालतू का नेट charge नहीं कट रहा है |
अब मैं आज के मुददे पर आता हूँ जिस कारण मैंने आज का post लिखने का सोचा |
ये Blog मैंने सिर्फ अपने
दिल की बातों को लिखने के लिए बनाया है |
अभी मेरे Whatsapp पे एक message आया था जिस में लिखा था की विदेश के एक डॉक्टर
ने abortion यानी की गर्भपात के Ultrasound का video बनाया था जिसे
उसने एक meeting में दिखाया था ...
वो msg कुछ इस तरह से है
...
अमेरिका ने सन 1984 में एक सम्मलेन
हुआ था – “नैशनल राइट्स टू लाइफ कन्वेंशन“ |
इस सम्मलेन में एक व्यक्ति ने डॉ बर्नार्ड नेथेनसन के
द्रारा गर्भपात की बनाई गई Ultrasound फिल्म “साइलेंट स्क्रीम” (गूंगी चीख) का जो
विवरण दिया था वह इस प्रकार है ...
pc - google
गर्भ की वो मासूम बच्ची अभी सिर्फ 10 सप्ताह की थी व काफी चुस्त थी | हम उसे अपनी
माँ की कोख में खेलते करवट बदलते और अंगूठा चूसते हुए देख रहे थे उसकी दिल की
धड़कानो को भी देख पा रहे थे और उस समय वो 120 की साधारण गति
से धड़क रहा था | सब कुछ बिलकुल सामान्य था किन्तु जेसे ही पहले ओजार (सक्सन पम्प)
ने गर्भाशय की दीवार को छुआ वह मासूम डर से एकदम घूमकर सिकुड़ गई और उसकी दिल की
धड़कन काफी बढ़ गई थी | हालांकि अभी तक ओजार ने बच्ची को छुआ तक नहीं था पर उसे
अनुभव हो गया था की कोई चीज़ उस के आरामगाह, उसके सुरक्षित इलाके में हमला करने का
प्रयास कर रही है |
हम दहशत से भरे यह देख रहे थे की किस तरह वह ओजार उस नन्ही
मुन्नी मासूम गुडियां सी बच्ची के टुकडे टुकडे कर रहा था | पहले कमर फिर पैर आदि
के टुकडे ऐसे काटे जा रहे थे की वह जीवित प्राणी ना हो कर कोई गाजर मूली हो और वह
बच्ची दर्द से छटपटाती हुई सिकुड़ कर घुमघुम कर तडपती हुई इस हत्यारे ओजार से बचने
का प्रयत्न कर रही थी |
वह इस बुरी तरह डर गई थी की एक समय उस के दिल की धड़कन 200 तक पहुँच गई थी मैंने खुद अपनी आँखों से उस को
अपना सर पीछे छटकते व मुह खोल कर चीखने का प्रयत्न करते हुए देखा जिसे डॉ ने गूंगी
चीख कहा है...
अंत में हमने वो नृशंस वीभत्स दृश्य भी देखा जब ओजार उस की
खोपड़ी तोड़ने के लिए तलाश कर रही थी और फिर दबा कर उस कठोर खोपड़ी को तोड़ रही थी
क्युकि सर का वह भाग बिना तोड़े सक्सन टयूब के माध्यम से बाहर नहीं निकला जा सकता था
| हत्या के इस खेल को ख़तम होने में 15 मिनट के करीब का
समय लगा होगा और इसके दर्दनाक दृश्य का अनुमान इससे अधिक और केसे लगाया जा सकता है
की जिस डॉ ने यह गर्भपात किया था और मात्र कोतुहल वश इसकी फिल्म बनवा डाली थी उसने
जब स्वयं इस फिल्म को देखा तो अपना क्लिनिक छोड़ के चला गया और फिर वापस नहीं
आया...
आज कल हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ी समस्या
हो गई है |
जिस को हम सब को मिल कर ख़तम करना होगा... सबसे पहले शुरुवात
अपने आप से और अपने आस पास से शुरू करो... कोई भी अगर इस तरह की सोच रखता हुआ मिले
तो उसे समझाये ....
बाकी आप खुद समझदार हैं |
plzzz think about it...
- बाबा बेरोजगार
- बाबा बेरोजगार
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