मैं उत्तराखंड से हूँ और पहोड़ो में घूमने का शौक रखता हूं l
College time पर मैं अक्सर दोस्तों के साथ घूमने के Tour बनाया करता था...
बस जब मन किया और मौसम अच्छा हुआ निकल पड़ो दोस्तों के साथ...
जरूरी नहीं की खूब पैसा उड़ा के ही टूर
बनाया जाता है... मुझसे याद है की जब मैं नैनीताल में रहता था तो हम सब दोस्तों ने
वहां से 20-25 km दूर स्थित “नौकुचिया ताल” जाने का Plan बनायाl
नैनीताल एक बहुत ही खुबसूरत hill station है और बहुत ही आकर्षक जगह है यहाँ एक बहुत ही
बड़ा और अच्छा ताल है...
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यहाँ हर साल बहुत ही पर्यटक देश विदेश से आते हैंl नैनीताल पे तो बहुत कुछ
बताऊंगा पर बाद में अभी अपने नौकुचियाताल के भ्रमण की कथा... जो की खुद बहुत बढ़िया
पर्यटक स्थल और सुन्दर ताल है...
नौकुचियाताल का नाम ऐसा इसलिए पड़ा क्यूंकि इस के नौ कोने हैं और यह बहुत ही
बड़ा ताल है l नौकुचिया ताल के बारे में कहा जाता है कि जो कोई भी इस के नौ कोनो को
एक साथ देख लेगा वो उसी समय मर जायेगा... जब हमने ये बात सुनी तो थोडा अजीब लगा पर
वह जा कर और उस ताल को देख कर समझ गये क्यों की उस ताल के सारे कोने एक साथ दिखते
ही नहीं है... हहह्हा.....
तो हम सब दोस्तों ने मिल के ये बात रखी की ज्यादा खर्चा नहीं करेंगें l हम सब
ने 50-50 रूपये मिलाये और चल पड़े
अपने टूर पर...
नैनीताल के बस अड्डे पहुँच कर पता किया की वह केसे जा सकते हैं तो पता चला कि
वहाँ को सीधे एक बस जाती है | हम भी खुश
हो गये की ज्यादा झंझट नहीं हुई जाने में ... पर फिर पता चला की अभी वो बस चली गई
है दूसरी तो जाने में टाइम है पर हम दूसरी बस में भी जा सकते हैं जो आधे रास्ते तक
जाती है मतलब भीमताल तक.. भीमताल भी एक बहुत ही प्यारा हिल स्टेशन है और वहा एक खूबसूरत ताल है और नैनीताल से भी
बड़ा ताल है ....
यहाँ ताल के बीच में एक टापू भी है जिस में उत्तराखंड सरकार में एक मच्छली
संग्रहण बनाया है जिस में बहुत ही प्रकार की मछलियां हैं....
फिर हमने सोचा की इसी में जाते हैं जब तक नौकुचियाताल की बस आएगी तब तक भीमताल
घूम लेंगे...
हम सब बैठ गये फिर क्या था, उस टाइम बस खचाखच भरी हुई थी तो मुझे अजीब सा लगने
लगा उलटी जेसे होने को थी की मेरे कमीने दोस्त शुरू हो गये अपने पागलपन में...
हाहाहा
मूड बना दिया कमीनो ने.... अब आने लगा था टूर का मज्जा...
सबसे पहले हम नैनीताल से भवाली पहुंचे जो नैनीताल से सिर्फ 5-10 km दूर है और
बहुत ही ठंडा और अच्छा Hill Station है... और उत्तराखंड के पहाड़ी शहरो को जाने का main रास्ता है....
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आप जब भवाली हो के जायेंगे तो आप का बस में local दूकानदार आप को बस में ही आ
के उस मौसम के ताजे फल बेचते हुए मिल जाएंगे वो भी बहुत सस्ते में....
भवाली से एक रोड रानीखेत/अल्मोड़ा को जाती है और दूसरी रोड भीमताल/हल्द्वानी
को...
फिर हमारी बस भीमताल को चल पड़ी... 15-20 मिनट बाद हम भीमताल पहुँच
गये....
जिस का किराया उस टाइम 20 rs था... मतलब अब हम सब के पास 30-30 rs बचे हुए थे ....
हाँ तो हम भीम ताल पहुचे और ठंडी रोड होते हुए ताल के किनारे किनारे घुमने
लगे... फिर एक जगह पर ताल में जाने के लिए सीडियां थी जिस पर जा कर हम सब ने Group photo खिंचाई और ताल के किनारे बैठ
कर धुप सकने लगे.... तभी हमे पानी में सांप तैरता हुआ दिखा मैंने पहली बार आमने
सामने तैरता हुआ सांप देखा था... Tour का मजा आने लगा....
फिर अपनी अपनी अलग अलग Pose में photo खीचने लगे कि कल कॉलेज में जा कर सब को दिखायेंगे.... उस के
बाद बहुत भूख लगने लगी पर पहले से सोच के आये थे कि 50 rs से ज्यादा खर्चा नहीं
करेंगे इसलिए सोचने लगे की सस्ते में क्या आएगा जो खाने में टाइम भी ले और साला
पेट भी भर जाये ... हाहाहा
और तभी हम सब की नज़र पड़ी OYes पे ...
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हाहाह्हा शायद आप को पता हो की ये 5 rs में आता है और चिप्स जैसा होता है.... उसे खाया
और पेट भर गया बस दिल रहने के लिए....
फिर नौकुचियाताल जाने वाली बस आ गई तो हम सब उस पर बैठ गये जिसका किराया था
मात्र 10 rs हाहाहा
Sorry बस अपने कारनामो पर हंसी आ गई कि हम तब कैसे हुआ करते थे कितने पागल, दुनिया
से बेखबर बस अपने में मस्त... बस में बैठ कर हम पहुंचे नौकुचियाताल ...
जो जो नौकुचियाताल गया होगा उस सब के साथ बस से उतारते ही ये घटना जरूर हुई
होगी..
जैसे ही हम बस से उतरे तो हमारे सामने था एक छोटा सा मैदान जिस के आस पास कुछ
दुकाने थी बस... हम सब ने एक दुसरे को देखा और कहा कि अबे ये कहा आ गये.... यहाँ तो कुछ भी नहीं
है... गलत जगह तो नहीं उतर गये... और जोर जोर से हंस ने लगे.. फिर आगे जा के एक
दूकान वाले से पता किया की ये नौकुचियाताल कहाँ है... तो उसने कहा है यही नौकुचियाताल
है बस यहाँ से थोडा आगे जा के ताल को एक रास्ता है उस पर चले जाओ ...
तब जा कर दिल को तसल्ली मिली की सही जगह आये हैं... जैसे ही उस रस्ते पर आगे
बढे तो फिर एक और झटका लगा... सामने एक छोटा सा तालाब था जिस पर कमल खिले हुए
थे... फिर हम सब ने एक दुसरे को देखा और फिर जोर जोर से हसने लगे...
थोडा आगे गए तो आगे था बहुत बड़ा ताल “नौकुचियाताल”...
बहुत ही शांत.... पर इस शांति से हमे आराम कम डर ज्यादा लग रहा था... हाहाहा
हम उस ताल के किनारे किनारे जाने लगे और उस के उस पार घूम कर जाने लगेl वहां
का नजारा कुछ और ही था वहा पर बहुत सी दुकाने थी Fast Food की और बहुत से टूरिस्ट भी
थे जो Boating कर रहे थे यानी की नौका विहार हीहीहीही....
हम तो भई घुमने आये हुए थे तो चल पड़े ताल के अगल बगल... वहाँ ताल के किनारे किनारे
घूमते हुए लोगो को देख रहे थे तो मैंने उन से कहा की ये जगह इतनी सुनसान है कि कोई
डूब भी गया तो किसी को पता भी नहीं चलेगा... वैसे खून कर ने या लाश को फेकने की
अच्छी जगह है... हाहह्हा...
वहाँ की सुनसान जगह को थोडा मस्त बनाने के लिए हमने अपने Mobile पर songs चालू किये और फिर चल छैया छैया
छैया छैया हाह्हाहा
बहुत मजा आया वहा... वापस आते टाइम हम ने थोडा अलग करने के लिए सोचा कि क्यों
ना भीमताल जो की सिर्फ 3 – 4 km होगा वहा तक पैदल ही
चला जाये पैसे जो बचने थे यारा हहहाहा....
यही तो होता है दोस्तों के साथ कोई problem भी आजाये तो साथ में सब
हँसते हँसते निपट जाता है... फिर हम पैदल ही धुप में पागलो की तरह पैदल ही जाने
लगे... थोडा आगे गए की एक
बहुत ही बड़ा मंदिर दिखाई दिया जिस में एक बहुत बड़ी हनुमान जी की मूर्ति थी...
वह जा के हमने फोटो खिचाई और पास के हेण्डपंप में हाथ पैर धो कर मंदिर में गये
वह पर मंदिर परिसर द्वारा बनाई गई गुफा थी उस पर घूम कर आराम किया और उस मंदिर के
खुबसूरत बगीचे में घुमे... तब हमे अपने पैदल जाने वाले फैसले से ख़ुशी हुई क्युकि
अगर हम बस में जाते तो हम इस मंदिर पर नहीं जा पाते क्यों की बस वह पर नहीं रूकती
और हमे ऐसा लगता की हम कुछ चीज़ इसे ही बिना देखे छोड़ आये.... सच में जो होता है
अच्छे के लिए ही होता हैl फिर वह से आगे बढे शुरू में तो मजा आया पर थोड़ी देर बाद
ही हालत पतली हो गई... जेसे तेसे पहुच ही गए भई भीमताल ....
जय हो बाबा की
वहा जा के पानी पी के पेट भरा और थोडा आराम किया ताल के किनारे...
पहाड़ो की एक यही बात बहुत अच्छी लगती है कि जब कभी थोडा परेशान हो या थी थकान
हो तो बस पेड़ो की छाँव में बैठ जाओ ऐसा लगता की जन्नत में आ गये हों ... बस इसे ही
बैठे रहे दुनिया से बेखबर कोई परेशानी नहीं...
ये लिखते हुए सच में मैं खो गया था जब मैं भी इसे ही घंटो बैठा करता था जब परेशान
होता था और इसे में कही खो जाता था... बड़ा सुकून मिलता था...
हा फिर मैं भी कहा खो गया ... बात आगे बढ़ता हूँ की हम भीमताल पहुंचे और थोडा
आराम कर के पैसो का हिसाब लगाने लगे और एक दुसरे को देखने लगे और फिर कमीनी हंसी
के साथ फिर से सोच की अब भवाली तक पैदल जायेंगे हाहाआहा
बहुत ही पागलपन वाला फैसला... 10 km दूर होगा या फिर ज्यादा भी हो सकता था...
पर फिर साथ वाले ने कहा की एक shortcut रास्ता भी है जिस से सिर्फ 5 km ही पैदल जाना पड़ेगा... बस
फिर क्या चल पड़े जिन्दगी के यादगार और पागलपन वाले Tour पर...
गाते बजाते गप्पे मारते मरते गिरते लुडकते जैसे तैसे चलते गये .... हम हिम्मत
हारने वाले ही थे कि एक घर दिखा और उस घर में एक सुन्दर कन्या हाहाहाहा.... सारी
थकान गायब बाबा... और जैसे ही वो लड़की आँखों से दूर हुई फिर वही हाल.... मरते
गिरते लुडकते....
अंत में भवाली पहुँच ही गये और ख़ुशी तो इतनी हो रही थी की जैसे की माउन्ट
एवरेस्ट जीत लिया हो...
पर ये नादान दुनिया इस सब को क्या पता था की हम क्या कर के और किस तरह यहाँ तक
पहुचे हैं...
सच में बहुत ही अच्छा लग रहा था.. भवाली पहुच कर नैनीताल की बस में बैठे और
आराम से पैर फैला दिए पैरो को इतना आराम पहले कभी नहीं आया था...
फिर थके हारे नैनीताल पहुंचे तो आराम आयाl
अब बारी थी हिसाब की .... 25 किराया भीमताल तक + 5 नास्ते का (हाहाहा) + 10
भीमताल से नौकुचियाताल का किराया + 5 वापसी में नास्ता (हाहाहा) + 10 वापसी में भवाली से नैनीताल का किराया = 55
5 रूपये ज्यादा देने पड़े पर फिर भी 55rs में काम बन गया था
तो फिर सोचा 10-10 और मिलाते हैं और मस्त बन-टिक्की खाते हैं 15 वाली... और
फिर ये थी हमारी विजय की पार्टी .....
70rs में दुनिया के बेहतरीन Tour का मजा...
70rs में दुनिया के बेहतरीन Tour का मजा...
बस दोस्त साथ होने चाहिए बस फिर जिन्दगी का असली मजा आता है....
जीयो अपने हिसाब से जो अच्छा लगे और करे जरूर ताकि बाद में ये ना लगे की काश
मैंने वो किया होता तो दिल में ये बात नहीं चुभेगी....
आगे भी अपने यात्राओ के बारे में आप लोगो को बताता रहूँगा...
जुड़े रहिये बाबाजी के साथ...
आपका बाबा बेरोजगार (BabaBerojgaar)
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