कई सालों के आन्दोलन के बाद हमारा उत्तराखंड
राज्य बना... पर जब इसके निर्माण के लिए लोगों ने मांग उठाई थी तब उन्हें आज के
हालत का थोडा सा भी ख्याल नहीं आया होगा... (pics source - euttaranchal)
उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य था और उस समय की
सरकार का ध्यान बहुत कम ही पहाड़ी दुर्गम इलाकों में जाता था... पर जिस मुख्य कारण
की वजह से राज्य का निर्माण हुआ वो आज भी वेसा ही है... उसी हाल में है...
लोगो तक सुख सुविधाए नहीं पहुँच रही हैं इसलिए अब लोग खुद पलायन कर सुख
सुविधाओं वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं...
जिस से हमारे पहाड़ और जायदा बंजर हो गये हैं...
नया राज्य जब बना था तो सरकार एक एक बहुत छोटे
राज्य को ही संवारना था पर वो तो बस अपने घरों को ही सवारने में लगे रहे...
देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे बड़े बड़े शहरों को चमकाया जो पहले से
ही चमके हुए हैं... उत्तराखंड के हर गाव में रोड बनाने, हर छोटे कसबे में एक बढ़िया
हॉस्पिटल खोलने, बढ़िया स्कूल, हर गाव में प्राथमिक स्कूल, वगेरह वगेरह जैसे मूलभूत
सुविधाओं के लिए राज्य निर्माण हुआ था... पर आज भी हॉस्पिटल बहुत दूर दूर हैं...
गावो से मुख्य रोड तक आने के लिए सड़क तो दूर पक्के रास्ते तक नहीं हैं...
फिर कोई नए नए वादे करेगा, कुछ नया मिर्च मसाला
लगा के कहेगा... पर अब सीधे उनसे “स्टाम्प पेपर” पर लिखा दो कि जो कुछ करना है
वो 1 साल के अन्दर कर के दे, चाहे पैसे केंद्र सरकार से मांगे, राज्य सरकार से
मांगे या फिर अपनी घर जमीं बेच के लाये... काम करो वरना स्टाम्प पेपर में लिख दो
की मैं इस गाव, कसबे, विधान सभी क्षेत्र के लोगो को मुझे जितने के बावजूद समय पर
काम नहीं करने के कारण मान हानि के ........... रूपये दूंगा... फिर देखो
हमारे लिए नहीं पर अपना घर-बार बचाने के लिए वो खुद कही से भी योजनाओ को पूरा करने
के लिए धनराशी का जुगाड़ करेगा...
अगर ये सब कर दिया फिर सरकार किसी की भी बने कोई
भी नेता बने... चाहे वो पैदल आये या फिर हेलीकाप्टर में आये, साथ में खाना खाए या
आप को अपने घर में खिलाये... हमे उस से कोई मतलब नहीं... क्यूंकि चुनाव के बाद
उनको भी हमसे कोई मतलब नहीं रहता... कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा हमारी जिन्दगी
में...
तो देख लो अपने अपने इलाके का हाल और जो वोट
मांगने आये उसका हाल.... विश्वास किसी का मत करना.... स्टाम्प पेपर बना के रखना...
जो मान जाये उसे वोट दो वरना वोट मत दो... क्यूंकि हम तो वेसे भी जी ही रहे हैं
अपने को हालातो के हिसाब से ढाल के... हॉस्पिटल और उन में अच्छे डॉक्टर, स्कूल और वहाँ
पर पुरे टीचर्स, पक्की सड़के, ये सब तो मुख्य जरुरत हैं, जो 1 साल के अन्दर अन्दर
चाहिए...
मैं तो नोकरी के चक्कर में अपना गाव छोड़ आया...
अगर आप भी अपना घर-बार छोड के शहरों को आ रहे हो तो किसी को भी वोट दो... पर अगर
अपने गाव को सुन्दर और विकसित बनाना चाहते हो तो यही एक मोका है 2017 विधान सभी
चुनाव का... बाकि आप लोग भोले हो देख लो क्या करना है अपने लिए, अपने बच्चों के
लिए... जय उत्तराखंड
- बाबा बेरोजगार
No comments:
Post a Comment