मैगी की कहानी भी बड़ी फ़िल्मी है... पता ही नहीं
चला की कल तक जो हर घर में राज करती थी, हर किसी की चाहे वो बच्चा हो, बुड्ढा हो,
जवान हो, नर हो या फिर नारी... सब की पहली पसंद थी... और आज समय ने ऐसे करवट ली की
उस के चाहने वाले ही उस के सबसे बड़े दुश्मन हो गये... आज तो मैगी का भी इन्सान और
इंसानियत से भरोसा उठ गया होगा...
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खुद मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो
रहा है कि मैगी पर बैन लग गया है और मार्किट से हटा दिया है... सब कुछ एक सपने
जैसा लग रहा है... खुद मैगी को भरोसा नहीं हो रहा होगा की उसका सब कुछ लूट गया...
उसके सब आशिक एक साथ बेवफा हो गये...
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बिलकुल फिल्म की तरह मैगी सब के
दिलो में राज करती है और फिर अचानक ऐसी राजनीति होती है की उस का सब कुछ मिनटों
में बर्बाद हो जाता है... मैगी के बैन होने से सभी को नुकसान हुआ है.... मैगी के
भरोसे ही तो कितने गरीब लोगो की दुकाने चलती थी और कुछ अमीरों की भी... मैगी
सेण्टर के नाम से हर जगह कोई न कोई दुकान होगी ही... नहीं भी होगी तो हर होटल में
मैगी जरूर बनती है...
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उस से जयादा नुकसान तो बच्चों का
हुआ है जो फटाफट मैगी बना के खा लिया करते थे या फिर स्कूल के टिफ़िन में मैगी ले
जा कर कितना खुश हुआ करते थे... और उस से भी जयादा नुक्सान किसी का हुआ है तो वो
है मुझ जैसे सिंगल लोग जो फटाफट मैगी बना कर खा अपने काम धंधे में लग जाते थे...
अब साला क्या बनाये ये सोचते रह जाते है... मैं तो मैगी बनाने में इतना एक्सपर्ट
हो गया था की होटलों वाली भी बनाने लग गया था... खा के ऐसा लगता था की बस ख़तम ही न
हो... ओ होहो ... याद मत दिलाओ यार वो दिन...
मैगी तुम दिल छोटा मत करो हम
तुम्हारे साथ है... मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने कहा है की हम फिर से एक
सेहतमंद और उतनी सी स्वादिस्ट मैगी ले कर जल्द वापस आयेंगे... हम सब अपनी जान मैगी
के इंतज़ार में रहेंगे...
- बाबा बेरोजगार
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