बचपन में जब भी कोई हॉरर मूवी या फिर नाटक देखता था तो उस में एक बात हर जगह एक होती थी वो था बड़ा सा घर....
अक्सर बड़े घर में सब के लिए अलग अलग कमरे बने होते हैं... छोटे छोटे बच्चो को भी बचपन से अलग सुलाते हैं... बड़ा बेकार लगता है... अब इसे में तो डर लगेगा ही न बाबा...
तब मैंने सोच लिया था कि कुछ भी घर जब भी बनायेंगे इतना बड़ा नहीं कि एक घर में रह के भी अकेले रहने जैसा लगे...
मुझे तो बहुत डर लगता है भूतों से... पता नहीं लोग कैसे रह लेते हैं इतने बड़े घर में... हॉरर मूवी में भी हीरो पूरे पैसे लगा के एक बड़ा सा घर लेता है... और फिर क्या भूत भी आ जाते हैं इतनी खाली जगह देख के.... हीहीही....
घर ज्यादा कमरों से नहीं बल्कि साथ में रह के सुख दुःख बटने से बनता है... बस इतनी सी बात है जो हमे दुखों और हाँ भूतों से भी बचा के रखता है... जय हो बाबा...
- बाबा बेरोजगार
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