हेल्लो दोस्तों, आप सभी को मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायनी की ढेरों बधाइयाँ... उत्तराखंड में इसे घुघुतिया त्यौहार के नाम से जानते और मनाते हैं...
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जो जो उत्तराखंड से होंगे उन्हें घुघुतिया नाम से ही मुह में पानी आ गया होगा... क्यूंकि इस त्यौहार में खास तरह का पहाड़ी व्यंजन बनाया जाता है जिसे आटा, गुड़ का पानी, दूध और थोडा सा घी या तेल मिला के एक साथ गूँथ के उसके अलग अलग डिजाईन के पकवान बनाये जाते हैं फिर उन्हें तेल में तलते हैं... जो बहुत ही टेस्टी होते हैं...
इन सब को एक साथ एक धागे में माला की तरह बांध कर छोटे छोटे बच्चों के गले में पहना देते हैं जिससे जब उनका मन करे खाते रहे.... हाहाहा... मैं तो बड़ी माला पहनूंगा...
वेसे ये घुघुते संक्रांति से एक दिन पहले शाम को बना के रख दिए जाते हैं और उन्हें अगले दिन सबसे पहले कोव्वे के लिए अलग से अपने अपने घरों के छतों पर रखा जाता है.... और बच्चे बोलते हैं... “काले कव्वा काले... घुघूती माला खाले...” “का कव्वा का का... पूस की रोटी माघ में खा”... और उन्हें देने के बाद सब को बांटा जाता है...
Facebook में किसी ने घघुती त्यौहार की कहानी पोस्ट की थी तो वो मैं यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ... खुद लिखने में उसे बुरा लगता तो उसे सीधे स्क्रीन शॉट ले के पोस्ट कर रहा हूँ.... Zoom करने के लिए फोटो में Click करे...
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मुझे से तो अब इंतज़ार नहीं हो रहा... और आप से.... जय हो...
- बाबा बेरोजगार
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