कभी कभी Life को देख कर अजीब सा लगता है,
पता नही क्यों पर लगता है कुछ ऐसा कि शायद लिख न सकूँ...
पर फिर
भी चाहता हूँ की लिखूं ताकि दिल में फंसे उस बात को जो हजम होने का नाम नहीं ले
रहा उसे जैसे तैसे निकल सकूँ....
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कोशिश
करता रहता हूँ पर नहीं... कोई फायदा नहीं... जब भी आईने में देखता हूँ पता नहीं
किन ख्यालों में खो जाता हूँ.... आईने को देख कर अक्सर यही सोचता हूँ की मैं आइना
जयादा न देख कर अच्छा करता हूँ...
कुछ हो
देखने लायक तो देखें ना.... खुद अपनी नज़रों में गिर
जाता हूँ... खुद अपने आप अपनी बेज्जती करने को और अपनी कमियों को निकालने की कोशिश
करता हूँ...
फिर यही
सोचता हूँ की अब आइना नहीं देखूंगा... आइना अपना सच बता ही देता है... हम अपने
बारें में कुछ भी सोचें, पर जब आईने में खुद को देखते हैं तो अपनी सच्चाई दिख ही
जाती है...
जाने
अंजाने में बहुत कुछ लिख गया हूँ आज... अब आईना देख कर उतना डर नहीं लग रहा... अब
आईने को देखने की हिम्मत बढ़ गई है...
- बाबा बेरोजगार
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