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Tuesday 6 March 2018

त्रिपुरा में लेनिन की प्रतिमा पर इतना विवाद क्यों???

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      त्रिपुरा में 25 साल से चल रही लेफ्ट की सरकार को हरा कर बीजेपी बहुत बड़ी जीत हासिल कर चुकी है... 25 साल से लेफ्ट का गढ़ रहा त्रिपुरा भी बीजेपी के रंग में रंग गया...




      त्रिपुरा में 25 साल से लेफ्ट की सरकार थी, और 20 साल से एक ही मुख्यमंत्री माणिक सरकार... उनको हरा कर नयी सरकार बनाना इतना आसान नहीं था...
      पर जरुरी भी था... बीजेपी नहीं, चाहे और कोई भी भारतीय राजनैतिक पार्टी को जीतनी जरुरी था क्यूंकि लेफ्ट की सरकार थी... लेफ्ट/कम्युनिस्ट मतलब एक तरह से भारत सरकार के विरोधी... अपने नियम अपने कानून...

      मुख्य चौराहे पर लेनिन की मूर्ति स्थापित कर ये साबित किया कि लेफ्ट भारत के किसी भी महान क्रन्तिकारी और किसी भी महान राजनेता (चाहे सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, नेहरु, गाँधी) के स्थान पर रूस के एक  विरोधी नेता को अपना आदर्श माना...






      लेनिन रूस का एक नेता था जिसने अपने ही देश से गद्दारी की थी और दुश्मन देश की मदद कर युद्ध में अपने देश को हराया था... यहाँ तक की खुद उसके देश रूस में उसे कोई महान नहीं मानता... ऐसे में रूस से हजारो किलोमीटर दूर भारत देश की एक पार्टी उसे अपना आदर्श माने तो क्या उस पार्टी पर भरोसा किया जा सकता है...



           लेनिन को रुसी क्रांति का जनक कहा जाता है क्यूंकि उन्होंने रुसी सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोला था... विद्रोह किया था... 

      त्रिपुरा देश का अभिन्न अंग तो है पर साथ ही सीमावर्ती राज्य भी... और देश की सुरक्षा की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण है... ऐसे में ऐसी किसी भी पार्टी का शासन करना, देश की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल है...






      त्रिपुरा में लेफ्ट की सरकार हटते ही और नयी सरकार आते ही वहां चोराहे पर बनी लेनिन  के पुतले को स्थानीय जनता द्वारा तोड़ दिया गया.... जो इस बात का एक मजबूत सबूत है कि चाहे सरकार किसी की भी, वहां की जनता अपने देश के लिए और उनके महान क्रांतिकारियों के लिए उतनी ही इज्जत रखती है जितनी की भारत के किसी अन्य स्थान पर रहने वाली जनता...
      आज तक हमे ये तक नहीं बताया गया की देश के किसी राज्य में ऐसी सरकार भी है जो देश के किसी महापुरुष को नहीं बल्कि बाहरी देश के किसी विरोधी नेता को अपना आदर्श मानती है और उसकी मूर्ति अपने राज्य में लगवाती है... और जब वो पुतले तोड़ कर देशभक्ति की जा रही है तो कुछ मीडिया इसके खिलाफ बोल रहे हैं...कि “क्या ये सही है??? किसने किया ये??? क्या नयी सरकार की चाल है?”

      ये पूछने से पहले क्या इन मीडिया वालों ने ये सवाल किया इन 25 सालों में कि “आखिर क्यों इन देशविरोधी पुतलो को लगाया गया...” चाहे पुतला किसी दुशमनी में तोडा गया हो या जनता द्वारा तोडा गया हो, ये सब बहुत पहले हो जाना चाहिए था...
      और हर देशवासी भी यही चाहेगा, चाहे वो किसी भी पार्टी का समर्थन करे, देश विरोधी किसी भी घटना या व्यक्ति को रोका जाये और उसके खिलाफ ठोस कानून बने.. और हमारी मीडिया अपना फायदा थोडा पीछे रख पहले देश हित देखे... जय हिन्द, भारत माता की जय...

-    बाबा बेरोजगार 

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