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Saturday 31 March 2018

जिंदगी कहाँ से कहाँ जा रही है?

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लाइफ कहा से कहा आ गई। आज दारू के ठेके के आगे भीड़ देखी तो पता चला कि मार्च इंडिंग आ गया। पहले दोस्तों के साथ हफ़्तों पहले प्लान बनता था कि मार्च इंडिंग आ रहा है। दारू सस्ती होगी। पैसे जमा करो। एक पेटी उठा लेंगे। मजजे करेंगे।










और अब साला कुछ नही, भीड़ देख के गाली देने का मन किया उनको की साला कैसे दारू के लिए मर रे हैं। बेशर्म कही के।

मतलब ऐसी लाइफ का कभी सोचा नही था। ये बस हो गई। मतलब जैसे पहले सच्चा प्यार अपने आप हो जाता था, अपने को मालूम भी नही होता था और हो जाता था। वेसे ही ये लाइफ हो गई है। पता नही क्या हो रहा है? बस कट रही है। पता नही आगे क्या होगा? कैसा होगा? क्यों होगा?


लाइफ का कुछ पता नही। दोस्तों का कुछ पता नही। प्यार का कुछ पता नही। पैसों का कुछ पता नही।






बस जिये जा रहे हैं, पता नही क्या सोच कर। पता नही दिल में क्या है? पता नही दिमाग में क्या है? पर कुछ है जो बाकी कुछ सोचने नही दे रहा बस कह रहा है कि तू लगे रह। सही जा रहा है। तू रुक मत। मैं देखता हूं तेरे लिए आगे क्या कर सकता हूं। तो बस मैं भी जिये जा रहा हूँ। आप भी जियो।

- बाबा बेरोजगार 

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