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Wednesday 18 March 2015

बाबा बेरोजगार का पहला प्यार

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Hello दोस्तों, कैसे हो... अभी एक image  देख के अपने पुराने दिन याद आ गये... कभी बाबा जी भी किसी कन्या के प्यार में अंधे थे... उसके प्यार में हद पार कर चुके थे... जब देखो उस की एक नजर को बेक़रार... पगलिया गये थे...

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 सब काम छोड़ कर बस उसी के खयालों में बेसुध थे... आप लोगो को भी कभी न कभी एक बार तो पक्का ऐसा प्यार हुआ ही होगा.. शरमाओ मत यार अब.... हाहाहा.....
     बात college के टाइम की है.. जब उस को अपने गली से गुजरते हुए देखा था, तब वो शायद 11 में थी.... अबे बच्ची पे न डोरे मार रिया हूं तब में भी B.Sc. 1st year में था...
     हाय ..... उफ्फ ... क्या बताऊ यार बस देख के ऐसा लगा था की ये बंदी तो बस अपने लिए ही बनी है बस..... साला बस इसे ही देखते देखते एक साल निकल गया... फिर अगला शुरू हो गया पर हा नाम तो पता कर ही लिया था.. वो जमाना भी बिलकुल अलग था.... मोबाइल नया नया शुरू हुआ था पर कोई whatsapp, facebook नहीं था जो फटा फट msg  भेज के दिल का हाल बता सके...






     तब तो साला नाम पता करने में ही आधी जवानी निकल जाने वाली हुई... बस उस की एक झलक देख के दिल खुश हो जाता था... गर्मियों की उस तपड़ी दुपहर में भी उस के स्कूल से आने के टाइम पे वो छत पर पागलो की तरह खड़े हो कर इन्तेजार करने का अपना ही मजा था... पसीने से तर बतर.. पर जेसे ही वो दिखती थी पता नही कैसे फ़िल्मी स्टाइल में साला मस्त ठंडी हवा चलने लगती थी... ओ हो..
     पर इन लड़कियों को क्या मालूम की इनके चक्कर में कितनो की जिन्दगी ख़राब होती है....
     आखिर लास्ट में दोस्तों की गाली खा कर मुझे थोडा होसला आया और उन्होंने मुझे धक्का मार के उस के पास भेजा... और मैं बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटा कर उसके पास गया और बस इतना ही बोल सका “excuse me.. मुझे आप से कुछ बात करनी है है..............” कि उसमे बीच में ही टोक के कहा मुझे आप से कोई बात नहीं करनी... साला इतनी बेज्जती... चलो वो तो प्यार थी पगली इस लिए उसका बुरा नहीं लगा पर उसके साथ उसकी सहेलियों ने भी टोक दिया तब जा के बेज्जती feel  हुई.. हाहाहा हंस लो तुम लोग भी ....






     अबे यार बचपना था यार.... होता है ऐसा एक बार सब के साथ हाहाहा

क्या दिन थे वो भी जब चाहिए था हमे बस प्यार...
और कहाँ अब बस बैठे रह गये बन के बाबा बेरोजगार....


-    बाबा बेरोजगार 





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